लखनऊ से नई दिल्ली के बीच अक्टूबर से चलेगी तेजस एक्सप्रेस...
नई दिल्ली: रेलवे हमेशा से बिहार और उत्तर प्रदेश पर मेहरबान रहता है यह सभी जानते है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण चार अक्टूबर से चलने वाली 12585/12586 तेजस एक्सप्रेस है, यह देश के पहली प्राइवेट सेक्टर की ट्रैन होगी। तेजस क्लास ट्रेन को सप्ताह में छह दिन लखनऊ से नई दिल्ली तक चलाया जाएगा। इस ट्रेन का किराया सहित पूरी पॉलिसी पर नौ सितंबर को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में निर्णय हो जाएगा। रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक तेजस क्लास ट्रेन के लिए रेलमंत्री पीयूष गोयल को प्रस्ताव भेज दिया गया है। बोर्ड चार अक्टूबर को नवरात्र पर इस ट्रेन को चलाना चाहता है।
जबकि 22435/22436 वाराणसी से नई दिल्ली चलने वाली वन्दे भारत एक्सप्रेस और 12033/34 कानपुर शताब्दी में कल यानि 6 सितम्बर के लिए भी दो सौ से ज्यादा सीटें खाली है वहीँ शनिवार के चार सौ से जायदा सीटें खाली हैं। पहले कानपुर शताब्दी लगभग भर के चलती थी लेकिन जबसे वन्दे भारत एक्सप्रेस शुरू हुई है तब वन्दे भारत और कानपुर शताब्दी के अलावा लखनऊ स्वर्ण शताब्दी को भी यात्री नहीं मिल रहे हैं, वापसी में भी शुक्रवार की सुबह वन्दे भारत में तीन सौ से भी ज्यादा सीटें खाली है।
दूसरी तरफ लखनऊ-आनंद विहार के बीच चलने वाली 12583/12584 डबल डेकर त्योहारों को छोड़कर हमेशा खाली ही चलती है। शुक्रवार के लिए आठ सौ से ज्यादा सीटें खाली हैं।
शताब्दी, वन्दे भारत और गतिमान खाली चलने के कारण पिछले महीने रेलवे इन ट्रेनों के किराये में 25 प्रतिशत की कटौती भी करनी पड़ी।
इसी प्रकार जब से 12049/12050 गतिमान एक्सप्रेस का विस्तार झाँसी तक किया गया तब से दिल्ली-हबीबगंज शताब्दी को प्रयाप्त यात्री नहीं मिल रहे।
एक तरफ रेलवे मध्य प्रदेश के ग्वालियर जैसे बड़े स्टेशन ट्रेनों को हाल्ट देना पसंद नहीं करता जबकि ग्वालियर की जनसँख्या झाँसी से दुगनी और स्टेशन की कमाई हमेशा झाँसी और आगरा से ज्यादा होती है फिर भी ग्वालियर को हाल्ट नहीं दिए जाते।
वहीँ दूसरी तरफ ग्वालियर-इटावा रूट को शुरू हुए तीन वर्ष हो गए लेकिन इस रूट पर मात्र झाँसी लिंक एक्सप्रेस है, और भिंड को आजतक ग्वालियर और इंदौर के अलावा किसी भी बड़े शहर के ट्रैन स्टार्ट नहीं हुए है|
एक तरफ रेलवे भिंड जैसे स्टेशनों को बड़े शहरों की ट्रैन नहीं देता वहीँ उत्तर प्रदेश पर ट्रेनों की बौछार हो रही है।
उत्तर प्रदेश पर किस तरह रेलवे मेहरबान है इसका एक उदाहरण पिछले वर्ष देखने को मिला जब ग्वालियर को दुरंतो और संपर्क क्रांति एक्सप्रेस हाल्ट दे दिया गया जिसका विरोध झाँसी के रेलवे स्टाफ ने काफी किया, इतना ही नहीं रेलवे की एक प्राइवेट साइट पर भी झाँसी के फैंस ने जमके विरोध किया।
रेलवे बोर्ड ने इलाहाबाद जोन को 22221/22 मुंबई राजधानी एक्सप्रेस को ग्वालियर से कितने यात्री मिल सकते हैं उसके लिए सर्वे करने के कहा था लेकिन झाँसी डिवीज़न के स्टाफ ने कहा कि ग्वालियर में लोड ज्यादा है इसलिए स्टॉप नहीं दिया जा सकता जबकि रेलवे ने यात्रियों के लिए सर्वे करने की लिए कहा था, ना कि लोड का सर्वे के लिए कहा गया था, यदि ज्यादा लोड के कारण हाल्ट नहीं दिया गया तो फिर सर्वे का नाटक क्यों?