थोड़ी देर में श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे राष्ट्रपति कोविंद और पीएम मोदी; 70 मिनट तक सुषमा स्वराज ने लड़ी मौत से जंग,…
नई दिल्ली. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (67) का मंगलवार रात निधन हो गया। उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद एम्स में भर्ती किया गया था। निधन से 3 घंटे पहले सुषमा ने एक ट्वीट में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी थी। इसमें उन्होंने लिखा था- जीवन में इसी दिन की प्रतीक्षा कर रही थी। मोदी ने कहा कि सुषमा जी का निधन मेरे लिए निजी क्षति है। सुषमा का पार्थिव शरीर एम्स से उनके घर ले जाया गया। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि बुधवार दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक सुषमा के पार्थिव शरीर को भाजपा मुख्यालय में रखा जाएगा।
67 वर्षीय पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मंगलवार रात दिल का दौरा पड़ने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था
इससे पहले उन्होंने कश्मीर के मुद्दे पर मोदी को बधाई देते हुए ट्वीट किया था
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- भारतीय राजनीति के एक गौरवपूर्ण अध्याय का अंत हो गया
बुधवार दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक उनके पार्थिव शरीर को भाजपा मुख्यालय में रखा जाएगा
डॉक्टरों की टीम के काफी प्रयासों के बाद भी जब उनकी जान नहीं बचाई जा सकी तो टीम में मौजूद दो जूनियर डॉक्टर के आंखों में आंसू आ गए। वे खुद को कंट्रोल कर पाते मगर भावनाओं के आगे वे हार गए और बाहर निकलकर फूट फूटकर रोने लगे।
दरअसल, सत्तर मिनट तक सीपीआर और हार्ट को पंप करने के अलावा शॉक भी देने के बाद सुषमा स्वराज की धड़कनें वापस नहीं लौटी तो उन्हें तत्काल जीवन रक्षक उपकरण (वेंटीलेटर) का सपोर्ट दिया। इसके बावजूद सुषमा के शरीर ने साथ छोड़ना शुरू कर दिया था। डॉक्टरों के आगे भी उस वक्त कुछ और करने को बचा नहीं।
डॉक्टरों के अनुसार सुषमा को रात नौ बजकर पैतीस मिनट पर एम्स लाया गया था लेकिन उससे पहले ही अलर्ट होने से बारह डॉक्टरों की टीम मौजूद थी। आनन फानन में उन्हें एंबुलेंस से बाहर लाकर सीधे इमरजेंसी ले जाया गया। यहां दो डॉक्टर सीपीआर के साथ मौजूद थे।
डॉक्टर चंद सेंकड में ही समझ गए कि सुषमा को कार्डिएक अरेस्ट हुआ है। करीब दस से पंद्रह मिनट तक सीपीआर से काम नहीं चला तो तुंरत उन्हें शॉक दिया। तीन बार शॉक के बाद भी सुषमा के शरीर ने कुछ रेस्पांड नहीं किया तो डॉक्टरों ने तीसरे विकल्प यानि हार्ट को पंप करने का फैसला लिया।
ह्दयरोग विभाग के डॉ वीके बहल और उनकी पूरी टीम पंप देने में जुट गई। जबकि दूसरी ओर डॉ प्रवीण अग्रवाल की टीम ने वेंटीलेटर को तैयार किया। पंप से भी काम नहीं चला तो सुषमा स्वराज को वेंटीलेटर दिया। मगर इस तब तक काफी देर हो चुकी थी और सुषमा की धड़कनों ने पूरी तरह से साथ छोड़ दिया था।