क्या महागठबंधन को खत्म मान लेना चाहिए? बसपा और तृणमूल ने साफ़ कहा कि वह कांग्रेस से अलग लड़ेंगे...
नई दिल्ली: बसपा नेत्री मायावती के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को साफ कर दिया है कि चुनाव में वह कांग्रेस से अलग है। उनकी जंग न सिर्फ भाजपा और राजग से होगी बल्कि कांग्रेस से भी होगी। जाहिर है कि सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और तीसरे बडे राज्य पश्चिम बंगाल में संभावित सहयोगियों के रुख ने न सिर्फ महागठबंधन को खारिज कर दिया है बल्कि कांग्रेस के लिए दूसरे राज्यों मे भी चुनौतियां बढ़ा दी हैं। खासकर बिहार में इसका असर दिख सकता है।
कुछ सीटों में अदला-बदली का दांव भी चला जा रहा है। इन सबके बीच कट्टर मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी के उप्र से चुनाव लडऩे की आहट ने सपा, बसपा और कांग्रेस को बेचैन कर दिया है। बिहार में कांग्रेस के सबसे प्रिय साथी राजद सपा-बसपा का रास्ता अपनाकर कांग्रेस को झटका दे सकती है। राजद प्रमुख लालू यादव बिहार में कांग्रेस को ज्यादा सीट नहीं देना चाहते, उन्होंने साफ कर दिया है कि कांग्रेस को उसकी हैसियत के हिसाब से ही सीट दी जा सकती है। मतलब, साफ है कि उप्र की तरह बिहार में भी कांग्रेस को अकेले चुनाव लडऩा पड़ सकता है।
उधर, लम्बी बातचीत के बाद भी बसपा के साथ कांग्रेस के गठजोड़ की गांठ नहीं जुड़ पाई है। बसपा ने किसी भी राज्य में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने का ऐलान करके उसके लिए दरबाजा बंद कर दिया है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने प्रत्याशियों की घोषणा करके कांग्रेस को भाव नहीं देते हुए अकेले चुनाव मैदान में रहने का संदेश दे दिया है। महाराष्ट्र में राकांपा की जिद के चलते कांग्रेस की तीन पीढ़ी से सेवा करने वाले परिवार के युवा ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इससे कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के सताए नेता भाजपा में शरण ले रहे हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुकुल राय के बाद कल टीएमसी के एक और सांसद अनुपम हाजरा भाजपा में शामिल हो गए। माना जा रहा है कि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी द्वारा भाजपा का विस्तार रोकने की कोशिश को भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पलीता लगा रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में टीएमसी, कांग्रेस और वामदल को बड़ा झटका लगा है। ममता को भी अंदाजा हो गया है कि राज्य में उसकी टक्कर इस बार भाजपा से होने वाली है। बंगाल में भाजपा लगातार बढ़त में है। वहां कांग्रेस काफी कमजोर है। वामदल के सामने अस्तित्व बचाने की चुनौती है।
गुजरात में हार्दिक पटेल को कांग्रेस में शामिल होने के बाद इठला रहे पार्टी नेताओं को जल्द बड़ा झटका लग सकता है। सूत्र बताते हैं कि जिज्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर भाजपा के सम्पर्क में हैं और वह भगवा ध्वज थाम सकते हैं। इन दोनों नेताओं को भाजपा में आने से कांग्रेस का दलित और क्षत्रिय समीकरण गड़बड़ा जाएगा। उधर पश्चिम बंगाल में लम्बें समय से नाराज चल रहे कांग्रेस के दिज्गज नेता व सांसद अधीर रंजन चौधरी भी जल्द हाथ का साथ छोड़ सकते हैं।