पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को 59 घंटे बाद रात 9 बजकर 21 मिनट पर भारत को सौंपा...
नई दिल्ली: आखिरकार पाकिस्तान को भारत के वीर सपूत विंग कमांडर अभिनंदन को 59 घंटे बाद भारत को सौंपना ही पड़ा। रात 9.21 बजे वतन लौटने के साथ ही अभिनंदन के शौर्य की कहानी भारतीय सेना के इतिहास में अमर हो गई। अभिनंदन जब लौटे तो उनके चेहरे और हावभाव को देखकर साफ दिख रहा था कि उन्होंने पाकिस्तान को भारत के साहस का परिचय बखूबी करा दिया है। वह नीला कोट, ग्रे पैंट और सफेद शर्ट पहने हुए थे।
वतन की धरती पर कदम रखते हुए उनका शेर सा तना सीना था और आंखों में चमक थी। वह कुछ देर तक जीरो लाइन पर खड़े रहे। उन्हें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारियों ने रिसीव किया। उन्होंने कहा कि अपने देश आकर अच्छा लग रहा है। इस दौरान भारत जिंदाबाद की गूंज सुनाई पड़ रही थी।
अटारी सीमा से अभिनंदन को वायु सेना के अधिकारी अपने साथ ले गए। कड़ी सुरक्षा में उन्हें सीधे अमृतसर एयरपोर्ट ले जाया गया। वहां से वायुसेना के विशेष विमान से वह दिल्ली पहुंचे।
वाइस एयर मार्शल रवि कपूर ने दो लाइन की प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि हम उनके लौटने से बेहद खुश हैं। चूंकि उन्होंने मिग से छलांग लगाई थी इसलिए उन्हें अब मेडिकल के लिए ले जाया जा रहा है जो बहुत जरूरी है। उन्हें विशेष विमान से दिल्ली लाया गया। यहां उनका राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका मेडिकल होगा।
पुलवामा में 14 फरवरी को 40 जवानों के शहीद होने का बदला लेने के लिए वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर जैश का आतंकी अड्डा तबाह किया था। उसके जवाब में पाक वायुसेना ने 27 फरवरी को एफ-16 लड़ाकू विमान से जम्मू-कश्मीर में भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला किया था। तभी विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों को खदेड़ा और एक एफ-16 को मार गिराया था। इस दौरान अपना मिग-21 क्रैश होने के कारण वह विमान से कूद गए थे।
जहां गिरे, वह इलाका POK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में था। जांबाज अभिनंदन पर वहां हमला किया गया, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं खोया। भारत माता की जय के नारे लगाने के साथ ही उन्होंने साहस व संयम का परिचय देते हुए हवाई फायर कर जान बचाई। अपने पास के दस्तावेज निगले, लेकिन दुश्मन के हाथ में नहीं पड़ने दिए। इसी बीच पाक सेना पहुंची और उन्हें भीड़ से छुड़ाकर अपने कब्जे में ले लिया। जब तक पाकिस्तान की हिरासत में रहे, उन्होंने पहचान के नाम पर सिर्फ नाम व रैंक बताई। और कोई जानकारी दुश्मन को नहीं दी।