असली मावा की कीमत 400-450 रुपए, मगर बाज़ार में मिल जाता है 200-300 रु., जैसी दुकान वैसा मावा....
हर त्यौहार पर मावा (खोवा) का अपना विशेष महत्व होता है। होली, दिवाली और रक्षाबंधन जैसे त्यौहार तो मावा के बिना मनाने की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। गुझिया, बर्फी, और गुलाबजामुन तो त्यौहार की जान है, और यह सब बनते हैं मावा से। बाजार में जैसी दुकान होती है वैसे ही मावे के दाम तय किए जाते हैं। हकीकत में अगर शुद्ध मावा की कीमत आंकी जाए तो यह 400 से 450 रुपए किलो तक आती है, जबकि बाजार में असली के नाम पर नकली मावा 200 से 300 रुपए किलो मिल जाता है।
प्रशासनिक अधिकारी होली और दिवाली पर मावा की जांच का ड्रामा करते हैं। उसके बाद यह वे भूल जाते हैं कि वर्ष भर कहां-कहां नकली मावा बिक रहा है और यह किस प्रकार से आम व्यक्ति की सेहत पर खराब असर डाल रहा है| अधिकारियों की इसी लापरवाही का फायदा उठाकर दुकानदार दो महीने तो शुद्ध मावा बेचते हैं और उसके बाद जैसा चाहो वैसा बेचो|
हकीकत यह है कि शुद्ध मावा की कीमत मापी जाए तो यह 400 रुपए किलो से अधिक ही है। मात्र 200-300 रुपए में शुद्ध मावा मिलना संभव नहीं है क्योंकि बाजार में शुद्ध दूध की कीमत 60 रुपए लीटर है। इसमें से 200 ग्राम ही मावा निकाला जा सकता है। जिसका मतलब है कि एक किलो मावा के लिए लगभग पांच लीटर दूध चाहिए जिसकी कीमत 300 रु. होती है| इसके अलावा इसमें गैस (ईधन), मजदूरी के दाम और मुनाफा अलग से तय होते हैं।
मावा की असलियत जानने का सबसे आसान तरीका यह है कि मावा को अपने अंगूठे के नाखून पर रगड़ लें। असली होगा तो उसमें से घी की महक आएगी और देर तक रहेगी, साथ ही वह चिपचिपा नहीं होगा। दूसरा तरीका यह है कि हथेली पर मावा की गोली बनाइए यदि फटने लगे तो समझिए नकली है। तीसरा तरीका यह है कि दो ग्राम खोवा को 5ML गरम पानी में घोल लें और उसे ठंडा हो जाने दें। उसमें आयोडीन सलूशन दो ड्रॉप डाल दें। यदि मावा नकली होगा तो उसका रंग नीला हो जाएगा।