बथुआ में विटामिन ए, आयरन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन सी, फास्फोरस और पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाएं जाते हैं।
बथुआ गेंहू के खेतों में गेंहू के साथ उगता है। जब गेंहू बोया जाता है तब अकसर गेंहू के साथ खरपतवार उग जाते हैं। इन खरपतवार में बथुआ भी होता है। लेकिन बथुआ को हम स्वादिष्ट साग के रूप में खाते हैं। हम इसे साग बना कर उपयोग करते हैं, बथुआ के पराठे बना खाते हैं या फिर इसका रायता बना कर खा सकते हैं।
बथुए को एक सलाद के रूप में भी खा सकते हैं, बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएं तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो सेंधा नमक मिलाएं और देशी घी से छौंक लगाएं। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से निरोग रहने में हमारी और भी मदद करता है।
बथुआ एशिया महाद्वीप के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अमेरिका में भी पाया जाता है। इसमें विटामिन ए, आयरन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन सी, फास्फोरस और पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाएं जाते हैं। यह एक ग्रीन वेजिटेबल है जो नाइट्रोजन युक्त मिट्टी मे उगता है।
सदियों से इसका उपयोग कई बीमारियों को दूर करने मे होता है। लेकिन इसकी प्रकृति ठंडी होती है| बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें। बथुआ शुक्रवर्धक है।
बथुआ के फायदे बालों के लिए
बालों में प्राकृतिक रंग बनाए रखने मे बथुआ आंवला से कम लाभदायक नहीं है। इसमें विटामिन और खनिज तत्व की मात्रा आंवला से ज़्यादा होती है। इसमें आयरन, फास्फोरस और विटामिन ए और डी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है।
मुंह के अल्सर के लिए
बथुआ के पत्तों को कच्चा चबाने से मुंह का अल्सर, मुंह की बदबू, पायरिया और दांतों से सम्बन्धित अन्य समस्याओं मे बड़ा फायदा होता है।
बथुआ के उपयोग कब्ज की समस्या में
बथुआ आमाशय को ताकत देता है, कब्ज दूर करता है, बथुए की सब्जी दस्तावर होती है, कब्ज वालों को बथुए की सब्जी नित्य खाना चाहिए। कुछ सप्ताह नित्य बथुए की सब्जी खाने से सदा रहने वाला कब्ज दूर हो जाता है। शरीर में ताकत आती है और स्फूर्ति बनी रहती है। और साथ साथ गैस आदि समस्याओं में भी फायदेमंद है। भूख मे कमी आना, भोजन देर से पचना, खट्टी डकार आना, पेट फूलना जैसी समस्याओं से बथुआ छुटकारा दिला सकता है|
बथुआ साग बेनिफिट्स तिल्ली की समस्या में
तिल्ली बढ़ने पर काली मिर्च और सेंधा नमक के साथ बथुआ को उबाल लें, फिर इसके साग का सेवन करें। धीरे-धीरे तिल्ली घट जाएगी।
बथुआ का साग बच्चों के पेट के रोग लिए
जब तक मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएं। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएं, इससे पेट के हर प्रकार के रोग यकृत, तिल्ली, अजीर्ण, गैस, कृमि, दर्द, अर्श पथरी ठीक हो जाते हैं।
बथुआ का जूस पीलिया की समस्या में
बथुआ और गिलोय के रस को एक सीमित मात्रा में लेकर दोनों को मिलाएं, फिर इस मिश्रण का 25-30 ग्राम रोज़ दिन मे 2 बार सेवन करें। इस के सेवन से पीलिया (Jaundice) की समस्या से दूर रहेंगे।
बथुआ के बीज अनियमित मासिक धर्म में
अक्सर महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या होती है। मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर पी जाएं। ऐसा करने से आपको बहुत जल्द अनियमित पीरियड्स से आराम मिलेगा। आंखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएं।
बथुआ साग के फायदे प्रसव संक्रमण में
यदि आप प्रसव के बाद के संक्रमण से परेशान हैं तो 10 ग्राम बथुआ साग, अजवाइन, मेथी और गुड़ ले कर मिला लीजिए। इसका 10 से 15 दिन तक लगातार सेवन करें। इससे प्रसव के संक्रमण की समस्या में लाभ मिलेगा।
बथुआ के पत्तों के फायदे मूत्र संक्रमण में
यदि आप मूत्र संक्रमण से परेशान हैं तो रोज़ आधा किलो बथुआ, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें। बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नीबू, जीरा, जरा सी काली मिर्च और सेंधा नमक लें और पी जाएं। इस प्रकार तैयार किया हुआ पानी दिन में तीन बार लें। इससे पेशाब में जलन, पेशाब कर चुकने के बाद होने वाला दर्द, टीस उठना ठीक हो जाता है, दस्त साफ आता है। पेट की गैस, अपच दूर हो जाती है। पेट हल्का लगता है। उबले हुए पत्ते भी दही में मिलाकर खाएं। पेशाब रुक-रुककर आता हो, कतरा-कतरा सा आता हो तो इसका रस पीने से पेशाब खुल कर आता है।
रक्त की कमी में बथुआ खाने के फायदे
बथुआ आयरन का स्रोत है इसलिए इस के नियमित रूप से सेवन करने से रक्त की कमी दूर होती है। साथ ही बथुआ को 5 से 6 नीम की पत्तियों के साथ मिला कर सेवन करने से रक्त अंदर से शुद्ध और साफ हो जाता है।
बथुआ खाने के फायदे चर्म रोग के लिए
सफेद दाग, दाद, खुजली, फोड़े आदि चर्म रोगों में नित्य बथुआ उबालकर, निचोड़कर इसका रस पिएं तथा सब्जी खाएं। बथुए के उबले हुए पानी से चर्म को धोएं। बथुए के कच्चे पत्ते पीसकर निचोड़कर रस निकाल लें। दो कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर मंद-मंद आग पर गर्म करें। जब रस जलकर पानी ही रह जाए तो छानकर शीशी में भर लें तथा चर्म रोगों पर नित्य लगाएं। लंबे समय तक लगाते रहें, लाभ होगा।
बथुआ का रस गुर्दे की पथरी की समस्या में
बथुआ के सेवन से गुर्दे की पथरी की समस्या में काफी फायदा होता है। पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शकर मिलाकर नित्य सेवन करें तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी।