ईवीएम (EVM) और वीवीपैट (VVPat) के बारे काफी गलत धारणाएं फैली हुई, लेकिन इनकी सच्चाई क्या है, जानिए....
नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने वर्ष 2000 से लेकर अब तक ईवीएम के जरिए लगभग 10 लाख मतदान केन्द्रों पर 113 राज्य विधान सभा के साधारण निर्वाचन और 3 लोकसभा निर्वाचन सफलतापूर्वक कराए गए हैं।
ईवीएम से बूथ पर कब्जा करने की घटना खत्म हो गई और मतपत्रों की गिनती में देरी और खामियों को भी दूर करने में मदद मिली। अभी मतगणना 3 से 6 घंटों में पूरी हो जाती हैं, जबकि पहले 24 से 48 घंटे लगते थे।
मतदाताओं का भरोसा बढ़ाने के लिए ईवीएम को अब वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट)
से युक्त कर दिया गया है।
वीवीपैट: यह एक स्वतंत्र प्रिंटर प्रणाली है जिसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जोड़ा जाता है और इससे मतदाताओं को अपना मतदान बिल्कुल सही होने की पुष्टि करने में मदद मिलती है।
वीवीपैट : मिथक एवं वास्तविकताएं
मिथक 1 : मतदाता को वीवीपैट पर्ची मिल जाती है। वास्तविकता: यह गलत जानकारी है। कोई भी मतदाता वीवीपैट पर्ची को छू नहीं सकता है। हालांकि, मतदाता को एक पारदर्शी स्क्रीन के पीछे पर्ची सात सेकेंड तक दिखती रहती है और आखिर में पर्ची वीवीपैट के मुहरबंद डिब्बे में चली जाती है।
मिथक 2 : वीवीपैट पर छपी हुई जानकारी अधिक से अधिक 15-30 दिनों तक ही पठनीय रहती है।
वास्तविकता: यह गलत जानकारी है। इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले थर्मल पेपर पर छपी हुई जानकारी 5 साल से भी अधिक समय तक पठनीय रहती है।
मिथक 3 : वीवीपैट मतदाता की फोटो खींच लेता है, ऐसे में मत की गोपनीयता भंग हो जाती है।
वास्तविकता: यह गलत जानकारी है। वीवीपैट में कोई कैमरा नहीं होता है और यह मतदाता की फोटो नहीं खींच सकता है।
मिथक 4 : वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा निर्वाचन के दौरान सभी मतदान केन्द्रों पर उपयोग के लिए
निर्वाचन आयोग के पास पर्याप्त संख्या में वीवीपैट नहीं हैं।
वास्तविकता : यह गलत जानकारी है। भारत निर्वाचन आयोग लोकसभा निर्वाचनों के साथ-साथ राज्य विधान सभाओं के लिए होने वाले आगामी निर्वाचन के दौरान भी सभी मतदान केन्द्रों पर शत-प्रतिशत वीवीपैट युक्त ईवीएम का इस्तेमाल करने के लिए प्रतिबद्ध है। आवश्यकता के अनुसार वीवीपैट मशीनें उपलब्ध रहेंगी।
मिथक 5 : बड़ी संख्या में वीवीपैट मशीनें काम करना बंद कर देती हैं जिससे मतदान रुक जाता है।
वास्तविकता : यह गलत जानकारी है। वीवीपैट मशीन के कारण मतदान रुक जाने के कुछ ही मामले सामने आए हैं। हालांकि, इस तरह की वीवीपैट मशीनों के प्रतिस्थापन के लिए पर्याप्त रिजर्व की व्यवस्था की जाती है।