इसका पहला रेक नई दिल्ली - हबीबगंज शताब्दी की जगह उपयोग किया जायेगा| हर कोच में 6-6 सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे|
चेन्नई: 100 करोड़ की लागत से पूरी तरह भारत में विकसित, ऊर्जा बचाने वाली और बिना इंजन की ट्रेन सोमवार को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने लोकार्पण किया| लोहानी के हरी झंडी दिखाने के बाद सफ़ेद रंग की यह ट्रेन इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में कुछ दूर पटरियों पर दौड़ी|
अधिकारियों का दावा है कि ट्रेन-18 नाम की यह गाड़ी भारतीय रेलवे के लिए गेमचेंजर साबित होगी| 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ़्तार से चलने वाली यह ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस का विकल्प बनेगी|
ICF के महाप्रबंधक एस. मणि ने बताया कि इस ट्रेन को आधी लागत में बनाया गया है| इसमें अलग से पॉवरकार नहीं होगी, 16 कोचों वाली इस ट्रेन में 1128 यात्रियों के बेठने की क्षमता होगी| हर दूसरा कोच मोटरयुक्त होगा, जिससे कुछ सेकंड में ही यह अपनी अधिकतम गति पकड़ लेगी|
साथ ही उन्होंने बताया की यह बहुत कम कार्बन उत्सर्जित करेगी| ऐसी ट्रेनों के निर्माण में करीब 3-4 वर्ष लग जाते हैं, लेकिन हमने सिर्फ 18 महीनो में ऐसा कर दिखाया| मेट्रो की तरह ट्रेन की दोनों तरफ चालकों के लिए केविन होंगे जिससे इसे रिवर्स करने में समय बर्बाद नहीं होगा|
सुरक्षा की पूरी व्यवस्था
इस ट्रेन में यात्रियों की सुविधाओं और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है| ड्राईवर समेत हर कोच में 6-6 सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे| एग्जीक्यूटिव क्लास की सीटें घुमावदार होंगी, जीने ट्रेन की दिशा में आराम से सेट किया जा सकता हैं| ट्रेन के मैनेजमेंट सिस्टम चालक की केविन में होगा, इसके दरवाजे मेट्रो की तरह आटोमेटिक होंगे, जो की स्टेशन पर ट्रेन रुकने पर ही खुलेंगे, और ट्रेन के प्रस्थान से पहले बंद हो जायेंगे| इसकी सीढियां भी अपने आप खुलेंगी|
नई दिल्ली - हबीबगंज शताब्दी की जगह लेगी
इसका रियल टेस्टिंग नवम्बर के दूसरा सप्ताह से आगरा और बिना की बीच की जाएगी, यदि सब कुछ ठीक रहा तो पूर्व प्रधानमंत्री अटलविहारी बाजपाई के जन्मदिन पर इसे देश को समर्पित कर दिया जायेगा| इसका पहला रेक नई दिल्ली - हबीबगंज शताब्दी की जगह उपयोग किया जायेगा| ऐसा माना जा रहा की इसके कुछ स्टॉप ख़त्म कर दिए जायेंगे| इसका किराया भी शताब्दी से 25-30 प्रतिशत ज्यादा होगा|