क्यों दो दिन मनाई जाती है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी - शुभ मुहूर्त, कैसे करें पूजन, क्या करें और क्या न करें...
मथुरा: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी 12-13 अगस्त को है। कई बार कृष्ण जन्माष्टमी दो अलग-अलग दिनों पर हो जाती है जब-जब ऐसा होता है, तब पहले दिन वाली जन्माष्टमी स्मार्त सम्प्रदाय के लोगों के लिए और दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोगों के लिए होती है।
गृहस्थ जीवन वाले वैष्णव संप्रदाय से जन्माष्टमी का पर्व मनाते हैं और साधु संत स्मार्त संप्रदाय के द्वारा मनाते हैं।
धर्मग्रंथो के अनुसार भगवान श्री कृष्णा का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि को और बुधवार को हुआ था इसलिए हर साल इसी तिथि पर और इसी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।
इस साल भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी 12 अगस्त को शुक्रवार रात्रि 11:56 से शुरू होकर अगले दिन 12 अगस्त को रात्रि 07:20 बजे समाप्त हो जाएगी। 12 अगस्त को ही श्रीकृष्ण के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करना चाहिए।
अष्टमी तिथि 12 को सूर्योदय काल से नहीं है, इसलिए अगले दिन 13 को जन्माष्टमी मनाई जाना चाहिए। जन्माष्टमी नवमी युक्त तिथि में मनाई जाना ही श्रेष्ठ होगा। 13 अगस्त को ही सूर्योदय में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र रहेगा, इसलिए जन्माष्टमी इसी दिन मनाई जाना चाहिए। असमंजस इसलिए है कि 12 अगस्त को उदया तिथि में रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा, 13 को अष्टमी तिथि नहीं है। जबकि श्रीकृष्ण का जन्म इन्हीं दोनों योग में हुआ था।
जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 12 अगस्त को रात 12.08 बजे से 1.04 बजे तक है। मान्यताओं के अनुसार व्रत का पारण अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र उतरने के बाद ही करना चाहिए। अगर दोनों संयोग एक साथ नहीं बन रहे हैं तो अष्टमी या फिर रोहिण नक्षत्र उतरने के बाद आप व्रत तोड़ सकते हैं। ऐसे ही 13 अगस्त को पूजा का मुहूर्त रात 12.01 बजे से 12.46 बजे तक का है। पारण का समय सुबह 6 बजे के बाद है।
जन्माष्टमी तारीख...
2020 - बुधवार 12 अगस्त
2021 - सोमवार 30 अगस्त
2022 - शुक्रवार 19 अगस्त
जन्माष्टमी के दिन किसी के साथ भी गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए। गरीब या असहाय व्यक्ति को परेशान करने वाले दुख भोगते हैं। इसलिए जितना हो सके लोगों की मदद करें और उन्हें भोजन कराएं।
अगर आपके घर में कोई पेड़ पौधा लगा है तो उसे बिल्कुल भी न काटें। बल्कि इस दिन घर के सभी सदस्य मिलकर एक-एक पौधा लगाएं। इससे घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
इस दिन कान्हा की पुरानी मूर्ति की पूजा भी करनी चाहिए। दिन घर में शांति और सदभाव बनाए रखने के लक्ष्मी प्रसन्न होती है। इसलिए विवाद कलह से दूर रहें। मन को शांत रखें और ईश्वर का ध्यान करें।
इस दिन भगवान के भोग में तुलसी का पत्ता जरूर होना चाहिए। बिना तुलसी के भगवान प्रसाद स्वीकार नहीं करतें। महिलाओं का सम्मान करें। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। जिस घर में माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाएं वहां कभी किसी चीज की कमी नहीं होती।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर कान्हा के बाल स्वरूप की मूर्ति पर शंख में दूध डालकर अभिषेक करें। इसके बाद मां कान्हा के साथ ही मां लक्ष्मी का भी पूजन करें। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार जरूर आएगा।
अगर आपने घर में तुलसी लगाई है तो आप तुलसी के वृक्ष पर लाल चुनरी ओढ़ा दें। साथ ही वहां घी का दीपक जाएंगे। इसके बाद आप “ॐ वासुदेवाय नम:” का जाप भी करें। ऐसा करने से आपकी सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी।
कृष्ण कहते हैं- मेरा चिंतन करो लेकिन अपना कर्म करते रहो। वे अपना काम छोड़कर केवल भगवान का नाम लेते रहने का नहीं कहते। भगवान कभी भी किसी अव्यावहारिक बात की सलाह नहीं देते। गीता में लिखा है बिना कर्म के जीवन बना नहीं रह सकता। कर्म से मनुष्य को जो सिद्धि प्राप्त हो सकती है, वह तो संन्यास से भी नहीं मिल सकती।
सुख - दुख का आना और चले जाना सर्दी-गर्मी के आने-जाने के समान है। सहन करना सीखें। गीता में लिखा है- जिसने बुरी इच्छाओं और लालच को छोड़ दिया है, उसे शान्ति मिलती है। कोई भी इच्छाओं से मुक्त नहीं हो सकता। पर इच्छा की गुणवत्ता बदलनी होती है।