बिरला नगर को दिल्ली, भोपाल की तरह वैकल्पिक स्टेशन बनाने पर विचार, 4 लाख लोगों को मिल जाएगी राहत
ग्वालियर: शहर का मुख्य स्टेशन ग्वालियर जंक्शन से रोज 178 ट्रेनें गुजरती हैं और 45 हजार से ज्यादा यात्री आते-जाते हैं। लेकिन प्लेटफार्म केवल चार ही हैं। 1989 में तत्कालीन रेल मंत्री माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर में सात प्लेटफार्म बनाने का एलान किया था, लेकिन 29 साल में सिर्फ एक प्लेटफार्म बना।
मुख्य स्टेशन पर बोझ बढ़ने की वजह ग्वालियर के अन्य स्टेशन जैसे बिरला नगर और सिथौली स्टेशन की उपेक्षा है। इसमें बिरलानगर तो शहर के मध्य में है और अब तो आवादी सिथौली तक हो गयी है| वैकल्पिक स्टेशन के तौर पर यदि बिरला नगर पर ट्रेनों के स्टॉपेज किए जाएं तो उपनगर ग्वालियर, मुरार और नया ग्वालियर (दीनदयाल नगर के आस-पास के एरिया) के करीब 4-5 लाख लोगों को सुविधा मिलेगी।
एक ही रेलवे स्टेशन पर 178 ट्रेनों से आने और जाने वाले लगभग 45 हज़ार यात्रियों का बोझ है। शताब्दी और ताज एक्सप्रेस के समय पर सर्कुलेटिंग एरिया में वाहन पार्किंग की जगह तक लोगों को नहीं मिलती। लोगों को परेशान होना पड़ता है। इटावा ट्रैक शुरू होने से स्टेशन पर और भी यात्री व मालवाहक ट्रेनें बढ़ेंगी।
पिछले 10 साल से बिरलानगर को ग्वालियर के दूसरा मुख्य स्टेशन बनाने का प्रस्ताव कागजों में घूम रहा है| ग्वालियर 1989 में टॉप-10 में था स्टेशन, अब हालत खस्ता 45 हजार यात्री, स्टेशन सिर्फ एक है इसी कारणों से नई ट्रेनों को स्टॉप नहीं मिल रहा क्योंकि रेलवे हरवार यही कहता है कि ग्वालियर में प्लेटफार्म कम है और बौझ ज्यादा|
बिरला नगर स्टेशन को विकसित करना है। इसलिए वहां पैदल पुल और लूप लाइन का काम किया है। और अधिक विस्तार के लिए जिला प्रशासन से बातचीत चल रही है। उसके बाद यहाँ कुछ और ट्रेनों का स्टॉपेज दिया जा सकता है
- मनोज कुमार सिंह, पीआरओ झांसी मंडल