ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में नवविवाहिता स्त्रियों को अपने मायके भेज दिया जाता है|
सावन के महीने को त्यौहारों के महीने से भी जाना जाता हैं, सावन के महीने में कजरी तीज, हरियाली तीज, मधुश्रावणी, नाग पंचमी, शिवरात्रि और आखिर में रक्षाबंधन जैसे त्यौहार मनाये जाते हैं|
यदि इस महीने को शिव महीना कहें तो कुछ गलत नहीं होगा| इसी महीने में समुद्र मंथन हुआ था और भगवान शिव ने हलाहल विष पिया था, हलाहल विष के पान के बाद उग्र विष को शांत करने के लिए भक्त इस महीने में शिव जी को जल अर्पित करते हैं| इस पूरे महीने में लोग भगवान शिव की जमकर अराधना करते हैं, इस पूरे महीने में चारों ओर भोलेनाथ के नाम की गूंज रहती है|
शिव भक्तों के लिए यह महीना एक बड़े त्योहार की तरह होता है| इस महीने में लोग व्रत करते हैं, शिव की पूजा करते हैं और ज्योतिष उपायों से अपने भविष्य को संवारने की कोशिश करते हैं|
हालांकि ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में नवविवाहिता स्त्रियों को अपने मायके भेज दिया जाता है| धार्मिक और लोकमान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है| ऐसी मान्यताओं को आयुर्वेद भी स्वीकार करता है लेकिन इसका अपना वैज्ञानिक मत है, आयुर्वेद के अनुसार सावन के महीने में मनुष्य के अंदर रस का संचार अधिक होता है जिससे काम की भावना बढ़ जाती है, मौसम भी इसके लिए अनुकूल होता है जिससे नवविवाहितों के बीच अधिक शारीरिक संबंध से उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है|
विशेषज्ञ मानते हैं कि सावन के महीने में गर्भ ठहरने से होने वाली संतान शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो सकती है, इसलिए ही भारतीय संस्कृति में पर्व त्योहार की ऐसी परंपरा बनायी गयी है ताकि सावन के महीने में नवविवाहित स्त्रियां मायके में रहे| इसके साथ ही सावन के महीने में शिव की पूजा के पीछे भी यही कारण है कि व्यक्ति काम की भावना पर विजय पा सके| भगवान शिव काम के शत्रु हैं, कामदेव ने सावन में ही शिव पर काम का बाण चलाया था, जिससे क्रोधित होकर शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था|