गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा को कह जाता है, 2018 गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई को पड़ रही है|
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में हर महीने होने वाली पूर्णिमा का एक अलग महत्व है, लेकिन गुरु पूर्णिमा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है| अज्ञानी और अन्धकार में भटक रहे शिष्यों को सही मार्ग पर लाने वाले व्यक्ति को ही गुरु का पद प्रदान किया गया है|
वैसे तो स्पष्ट है कि शिष्य द्वारा अपने गुरू की आराधना करने का दिन ही गुरू पूर्णिमा कहलाता है, लेकिन क्या सिर्फ इसका इतना ही महत्व है? नहीं यह गुरू के सम्मान व आदर का दिन है वैसे तो हमें प्रत्येक दिन गुरू वंदना के साथ गुरू को प्रणाम करके ही दिन की शुरुआत करनी चाहिए।
प्रत्येक वर्ष में एक बार गुरू पूर्णिमा जिसे हम व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन हम अपने गुरू से हम दीक्षा मंत्र लेते हैं। वह मंत्र ही है जिससे हम परमात्मा की प्राप्ति तो करते है। गुरू हमें भगवत प्राप्ति का साधन अर्थात् गुरु मंत्र देता है। जिस मंत्र का जाप करके उस मंत्र के देवता का पूजन करके हम परमात्म को प्राप्त होते हैं।
गुरू पूर्णिमा के दिन हमें गुरू के निवास स्थान पर पहुंच कर के गुरू का आदर के साथ पूजन करके उनके श्रीचरणों का प्रछालन करना चाहिए। इसके बाद उनकी आज्ञा अनुसार ही कार्य को करना चाहिए।
बच्चे को जन्म भले ही माता-पिता देते हो पर जीवन का अर्थ और सार समझाने का कार्य गुरु ही करता है| उसे जीवन की कठिन राह पर मजबूती से खड़े रहने की हिम्मत एक गुरु ही देता है| हिंदू परंपरा में गुरु को गोविंद यानि भगवान् से भी ऊंचा माना गया है, इसलिए यह दिन गुरु की पूजा का विशेष दिन है|
पूर्णिमा को गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा
गुरु पूर्णिमा के त्योहार के दिन लाखों श्रद्धालु ब्रज में स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं| ऐसा कहा जाता है कि इस दिन बंगाली साधु सिर मुंडाकर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं, ब्रज में इसे मुड़िया पूनों नाम से जाना जाता है|