प्रदूषण घटाने की पहल, इंजन से होगी बिजली सप्लाई, एक कोच भी बढ़ेगा, शुरुआत शताब्दी एक्सप्रेस से होगी
नई दिल्ली| भाप के इंजन से तौबा करने के बाद रेलवे अब डीजल लोकोमोटिव यानी डीजल इंजन से परहेज करेगा। जल्द ही समस्त इलेक्ट्रिक ट्रैक से डीजल इंजन हटा लिए जाएंगे।
इसके साथ ही वीआईपी ट्रेनों से जनरेटर यान भी हटेंगे। नई व्यवस्था के तहत ट्रेनों में अत्याधुनिक (WAP-7) इंजन लगाकर इनके जरिए ही कोच में बिजली सप्लाई होगी। सबसे पहले इसे कानपुर शताब्दी से हटाया जायेगा| दावा है कि इस व्यवस्था से प्लेटफॉर्मों पर ध्वनि प्रदूषण कम होगा, साथ ही वायु प्रदूषण से कुछ हद तक निजात मिलेगी।
रेलवे यात्रिकी विभाग के पंकज अहिरवार ने बताया कि बिजली खपत से डीजल खर्च लगभग चार गुना अधिक होता है। इसके अलावा बड़ा फायदा यह होगा कि बिजली खर्च पर देय राशि देश में ही रहती है, जबकि डीजल खपत का पैसा विदेश पहुंच जाता है।
रेलवे के मुताबिक, ट्रेनों में लगने वाले अत्याधुनिक इंजनों में लोड कन्वर्टर लगा होता है। इसके जरिए ओवरहेड इलेक्ट्रिक लाइन से आने वाली 11000 वोल्ट की बिजली को कन्वर्टर 220 वाट में बदलकर ट्रेन के कोच में सप्लाई करेगा।
इसी बिजली के जरिए कोच के एसी, लाइट, पंखे और अन्य उपकरण संचालित होंगे। अभी तक देश की सभी वीआईपी ट्रेनों में जनरेटर से बिजली सप्लाई होती है।
साथ ही इसकी जगह एक यात्री कोच को बढ़ाया जाएगा। इसके बाद कानपुर सेंट्रल से गुजरने वाली अन्य सभी राजधानी और दुरंतो ट्रेनों के साथ लखनऊ स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के जनरेटर यान हटाए जाएंगे।