रोजाना 480 लीटर डीजल फूकने से रेलवे को हो रहा है लाखों का नुकसान
ग्वालियर: सिंधिया रियासत काल की नैरोगेज लाइन के स्थान पर ग्वालियर से श्योपुर के बीच 187 KM लंबी रेलवे लाइन तो ब्रॉडगेज में बदलने की प्रक्रिया शुरू होने वाली है| 550 करोड़ रु. के इस प्रोजेक्ट के लिए रेलवे को 250 हैक्टेयर सरकारी और गैर सरकारी जमीन की दरकार है| जिसमे से मुरैना जिले के कुछ जमीनों का अधिग्रहण किया जा चुका है| जिन क्षेत्रों में जमीन नहीं मिली है उसके लिए रेलवे की ओर से पुरे प्रयास किये जा रहे हैं|
बताया जा रहा है कि रायरू से बानमोर के बीच का काम शुरू हो गया है| जैसे ही बानमोर तक ब्रॉडगेज लाइन का काम पूरा होगा, वैसे ही नैरोगेज ट्रेन को बंद करने का निर्णय लिया जायेगा, हालांकि अभी तक इस मामले में कुछ फैसला नहीं हुआ है कि कब नैरोगेज ट्रेन बंद होगी| वर्तमान में ग्वालियर से तीन ट्रेन चलती हैं – एक श्योपुर के लिए और दो सबलगढ़ के लिए|
दो स्टेशन कम हो जायेंगे; एक स्टेशन बनेगा
ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट में ग्वालियर से बानमोर तक दो स्टेशन घोसीपुरा और मोतीझील बंद हो जायेंगे जबकि इस रूट पर रायरू (अभी ग्वालियर-आगरा रूट पर पहले से है) के रूप नया स्टेशन जुड़ जायेगा| हो सकता है घोसीपुरा और मोतीझील के लिए हेरिटेज ट्रेन चलाई जाये जिसके लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं, क्योंकि दोनों स्टेशन रिहायशी आबादी में परिबर्तन हो हो गये हैं इसलिए यहाँ बड़ी लाइन डालना संभब नहीं है|
चार पुल और 70-80 पुलिया बनेंगी
गेज परिवर्तन में बानमोर से सुमाबली के बीच घोडा पछाड़ नदी पर, जौरा से कैलारस के बीच सोन नदी पर, कैलारस से सबलगढ़ के बीच कुआरी नदी पर और बीरपुर से श्योपुर के बीच सीप नदी पर चार बड़े पुलों का निर्माण होगा जबकि 70-80 छोटी पुलिया बनेंगी
1904 में शुरू हुई थी नैरोगेज
ग्वालियर से शिवपुरी और भिंड के लिए 1904 में सिंधिया रियासत नैरोगेज ट्रेन की शुरुआत हुई थी जिसे 2003 में उत्तरमध्य रेलवे (NCR) में ट्रान्सफर कर दिया गया| नैरोगेज के अधिकतर डिब्बे 1988 के हैं जबकि पिछले महीने रेलवे 6 नए कोच मंगाए है| वर्तमान में रेलवे के पास 13 इंजन है|