पहले चरण में रायरू से सुमावली तक होगा काम; जमीन मिले तो 18 महीनों में जौरा तक बिछ सकती है लाइन – मनोज सिंह
ग्वालियर: एक तरफ रेलवे जहाँ नैरोगेज को ब्रॉडगेज में बदलने के लिए पूरी ताकत लगा रहा है दूसरी तरफ स्थानीय प्रशासन रेलवे के मदद नहीं कर रहा है|
प्रसिद्ध ग्वालियर-श्योपुर के अंतर्गत झाँसी की एक कंपनी ने पहले चरण का काम तो शुरू दिया लेकिन पिछले एक वर्ष में मुरेना जिले के केवल छह गांवों की जमीन का अधिग्रहण ही हुआ है| गांवों के नाम हैं -- मुरेना के जैतपुर, नूरावाद, नयागांव वहीँ सबलगढ़ के टेंटरा, खरिका और पचेर| इसके अलावा जौरा क्षेत्र में अगरोता, सिकरौदा और गैपरा की जमीन का अधिग्रहण का काम बहुत धीमा चल रहा है|
झाँसी मंडल के जनसंपर्क अधिकारी श्री मनोज सिंह का कहना है की जिला प्रशासन रेलवे का सहयोग नहीं कर रहा है जिसके कारण गेज परिवर्तन का काम कछुआ की चाल से चल रहा है| वहीँ जिस कंपनी को टेंडर मिला है उसके इंजीनियरों का कहना है की प्रशासन हमें जमीन उपलब्ध कर दे तो हम दिसम्बर 2019 तक जौरा तक ब्रॉडगेज बिछा देंगे|
जमीनों के लिए झाँसी से पहुँच रहे हैं अधिकारी
निजी जमीनों के अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढाने के लिए झाँसी से रेलवे अधिकारी जौरा पहुँच रहे हैं| साथ ही रेलवे स्टाफ के टीमें रोजाना ग्वालियर से मुरेना, जौरा, कैलारस पहुँचती हैं और लगातार तहसील और एसडीएम कार्यालय के संपर्क में रहते हैं और जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढाने के लिए कोशिश करते हैं|