बाग की बेटी रीमा ब्रजवासी अपने समाज की पहली डॉक्टर बनेगी। रीमा का नीट (NEET) में चयन हो गया है।
धार। रीमा ब्रजवासी जिसके पिता चाय की दुकान चलाते हैं और मां 10 साल से बीमार हैं का नीट (NEET) में चयन हो गया है।
पिता ने कर्ज लेकर बेटी को इंदौर व कोटा कोचिंग के लिए भेजा। मां का सपना बेटी पूरा करने जा रही है। ग्राम बाग की बेटी रीमा ब्रजवासी अपने समाज की पहली डॉक्टर बनेगी। रीमा को नीट में 238 अंक मिले हैं। कलेक्टर दीपक सिंह ने धार में रीमा का सम्मान किया।
रीमा ने बताया कि उनके समाज में बेटियों की जल्दी शादी हो जाती है। लेकिन मेरी मां सपना था मैं डॉक्टर बनूं।
रीमा के पिता दूलीचंद्र ब्रजवासी ने बताया कि वे बाग में चाय की दुकान चलाते हैं। बेटी रीमा को पढ़ाई के लिए इंदौर भेजने के लिए कर्ज लिया। फिर कोटा कोचिंग के लिए भेजा। पैसों की व्यवस्था कर बेटी को हर माह भेजते थे। आगे पढ़ाई के लिए ऋण लेना है, जिसके लिए आवेदन दिया है। पत्नी व मेरी जिद की थी बेटियों को पढ़ाकर इस काबिल बनाया जाए कि वे आत्मनिर्भर बने। हमें बेटियों को पढ़ाना था। शिक्षा उनके लिए ज्यादा जरूरी है।
बड़ी बेटी हैं इंजीनियर
दूलीचंद्र ने बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं। बड़ी बेटी शिवानी को बीई करवाया। वह बेंगलुरु में एक प्राइवेट कंपनी में काम करती है और एजुकेशन लोन भर रही है। दूसरे नंबर की बेटी ने भी बीएससी किया है। रीमा ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। उसने 17 से 18 घंटे पढ़ाई की। सरकारी कॉलेज मिल जाए तो चिंता खत्म हो जाएगी। मां के इलाज पर भी खर्च होता है।